“मर्द” और “बलात्कार” विषय पर ये पंक्तियाँ जरूर शेयर करें –
“मर्द कभी बलात्कार नहीं करते हैं,
माँ की कोख शर्मशार नहीं करते हैं..
मर्द होते तो लड़कियों पर नहीं टूटते,
मर्द होते तो आबरू उनकी नहीं लूटते..
मर्द हमेशा दिलों को जीतता है,
कुचलना नामर्दों की नीचता है…
बेटियां बहन मर्द के साये में पलती हैं,
मर्द की जान माँ की दुवाओं से चलती है..
मर्द नहीं फेकते तेज़ाब उनके शरीर पर,
मर्द प्रेम में मिट जाते हैं अपनी हीर पर..
मर्द उनको देह की मंडियों में नहीं बेचता,
मर्द दहेज़ के लिए उनकी खाल नहीं खेचता..
मर्द बच्चियों के नाजुक बदन से नहीं खेलते,
मर्द बेटियों को बूढों के संग नहीं धकेलते…
निर्भया-कांड के बाद क्या बलात्कार बंद हुए !!
कानून तो बदल गये पर क्या सोच भी बदल गयी !!
सोच बदलना आवश्यक हैं क्यो की सोच बदलेगी,
तो हम बदलेंगे और हम बदलेंगे तभी देश बदलेगा
“मर्द बनो” और इसको जितना फैला सको फैलाओ”..